निगाह-ए-जल्वा-तलब और आरज़ू क्या है जमाल-ए-यार नहीं है तो कू-ब-कू क्या है हज़ार बार कहा है कि ला-जवाब हो तुम फिर आइने के मुक़ाबिल हो जुस्तुजू क्या है ये किस का रंग नुमायाँ है तेरे हाथों से हिना है या किसी बिस्मिल का है लहू क्या है तड़प रहा है जो बेताब हो के ज़ख़्मों से ये रास्ते में मिरे दिल के हू-बहू क्या है कभी तो देखते हसरत भरी निगाहों से कभी तो पूछ लिया होता आरज़ू क्या है जहाँ में किस की चली है रहेगा कौन ऐ 'शाद' पयम्बरों को भी जाना पड़ा है तू क्या है