निगह का वार था दिल पर फड़कने जान लगी चली थी बरछी किसी पर किसी के आन लगी तिरा ज़बाँ से मिलाना ज़बाँ जो याद आया न हाए हाए में तालू से फिर ज़बान लगी किसी के दिल का सुनो हाल दिल लगा कर तुम जो होवे दिल को तुम्हारे भी मेहरबान लगी तो वो है माह-जबीं मिस्ल-ए-दीदा-ए-अंजुम रहे है तेरी तरफ़ चश्म-ए-यक-जहान लगी ख़ुदा करे कहे तुझ से ये कुछ ख़ुदा-लगती कि ज़ुल्फ़ ऐ बुत-ए-बद-केश तेरे कान लगी उड़ाई हिर्स ने आ कर जहाँ में सब की ख़ाक नहीं है किस को हवा ज़ेर-ए-आसमान लगी किसी की काविश-ए-मिज़्गाँ से आज सारी रात नहीं पलक से पलक मेरी एक आन लगी तबाह बहर-ए-जहाँ में थी अपनी कश्ती-ए-उम्र सो टूट-फूट के बारे किनारे आन लगी तुम्हारे हाथ से सीने में दिल से ता-बा-जिगर सिनान ओ ख़ंजर ओ पैकाँ की है दुकान लगी ख़दंग-ए-यार मिरे दिल से किस तरह निकले कि उस के साथ है ऐ 'ज़ौक़' मेरी जान लगी