नीला अम्बर चाँद सितारे बच्चों की जागीरें हैं अपनी दुनिया में तो बस दीवारें हैं ज़ंजीरें हैं रिश्ते हैं परछाईं जैसे उम्मीदें हैं सराबों सी बनती हैं मिटती हैं पल पल ये कैसी तस्वीरें हैं बढ़ कर हैं शैतानों से भी इंसानों के काम यहाँ होंटों पर फूलों सी बातें हाथों में शमशीरें हैं ये कैसा इंसाफ़ है यारब कैसा खेल है क़िस्मत का कुछ हाथों में रंग-ए-हिना है कुछ में सिर्फ़ लकीरें हैं 'आज़िम' प्यार की नगरी से कुछ ख़्वाब चुरा कर ले आओ उस नगरी में सुनते हैं कुछ राँझे हैं कुछ हीरें हैं