नींद न आए सर भी भारी हो ऐसे में ख़ाक ख़्वाब कारी हो मेरे आँगन में इस तरह उतरो घर में बस रौशनी तुम्हारी हो ये मिरे साथ ही जवाँ हुई है किस तरह ख़त्म बे-क़रारी हो मेरी बातें भी कोई मानेगा सारी दुनिया ही जब तुम्हारी हो यूँ तो हम शेर भी नहीं कहते तुझ को देखें तो नज़्म जारी हो मेरे पहलू में बरसर-ए-पैकार क्या ख़बर आप का हवारी हो सब से मिलता हूँ मुस्कुरा के 'अदन' वार खाता हूँ वो जो कारी हो