नींद से रिश्ता कोई जोड़ा नहीं ख़्वाब तो हम ने कभी देखा नहीं मंज़िलें हैं मुंतज़िर जिस मोड़ पर रास्ता उस मोड़ तक जाता नहीं झूट के लश्कर कहाँ टिक पाए हैं और जो सच है कभी मरता नहीं वक़्त ने इक ये सबक़ हम को दिया सोचते हैं जो कभी होता नहीं इस क़दर दिल को है जिस की आरज़ू उस के आगे कुछ कहा जाता नहीं जिस घड़ी छोड़ा था आँगन 'प्रेम' ने रास्ता अपनो ने भी रोका नहीं