निशान-ए-सुब्ह-गह-ए-जावेदाँ कोई नहीं है चराग़-ए-दीदा-ए-शब-ज़ाद-गाँ कोई नहीं है ख़राब-ए-हसरत-ए-उम्र-ए-मसीह-ए-आलम हूँ ख़ुशा मुदावा-ए-ज़ख़्म-ए-गुमाँ कोई नहीं है सरापा ज़ख़्म-ए-ख़दंग-ए-निगाह-ए-फ़र्दा हूँ मक़ाम-ए-दिल सर-ए-मौजूदगाँ कोई नहीं है न बाँध मिस्रा-ए-तम्हीद-ए-कुल्फ़त-ए-हस्ती यहाँ पे कोह-ए-तमन्ना ब-जाँ कोई नहीं है गुबार-ए-जादा-ए-तन्हा दयार-ए-सर-गरदाँ कि बे-रिहाइश-ओ-बे-ख़ानुमाँ कोई नहीं है पस-ए-वफ़ा-ए-तग़ाफ़ुल-सिफ़त ब-ज़ोम-ए-वफ़ा ब-जुज़ यक़ीन-ए-क़रीब-ए-गुमाँ कोई नहीं है तो फिर ये पर्दा-ए-तख़लीक़ चश्म-ए-हैरत है अगर ब-फ़र्ज़-ए-गिराँ आसमाँ कोई नहीं है चराग़-ए-मतला-ए-उम्मीद-गाह रौशन है अगरचे जल्वा-फ़िगन ता-कराँ कोई नहीं है मक़ाम-ए-फ़िक्र-ओ-अमल है कि बे-नियाज़ी-ए-शौक़ कि दिल में ख़दशा-ए-सूद-ओ-ज़्यां कोई नहीं है ब-तमा-दारी-ए-गंज-ए-मआनियान-ए-अजब शुमार-ए-हसरत-ए-गंज-ए-रवाँ कोई नहीं है तमाशा-बीन तमाशा-ए-ख़ुद-फ़रेबी हैं नवा-ए-नग़्मा-ओ-नारा-ज़नाँ कोई नहीं है ख़ुमार-ए-बादा-ए-कुहना-नवाज़-ए-कम-नज़री फ़राग़-ए-सोहबत-ए-फ़हमीदागाँ कोई नहीं है सितम-रसीदा-ए-शब-हा-ए-इंतिज़ार-ए-सहर फ़ुग़ाँ कि मुंतज़िर-ए-नीम-जाँ कोई नहीं है फ़सुर्दगी को गुज़रगाह-ए-नौ-बहारी से इलाक़ा-ए-हवस-ए-बोस्ताँ कोई नहीं है कहाँ सिफ़ात-ए-बयान-ए-अली कहाँ 'हादिस' मगर ब-हसब-ए-सुख़न क़दर-दाँ कोई नहीं है