नुमू-पज़ीर हूँ हर दम कि मुझ में दम है अभी मिरा मक़ाम है जो भी वो मुझ से कम है अभी तराश और भी अपने तसव्वुर-ए-रब को तिरे ख़ुदा से तो बेहतर मिरा सनम है अभी नहीं है ग़ैर की तस्बीह का कोई इम्काँ मिरे लबों पे तो ज़िक्र-ए-मनम मनम है अभी 'तुराब' पर कहाँ होता है ये ख़ुदा का ख़ला मिरे वजूद के अंदर कहीं अदम है अभी