नूर-ए-ईमाँ सुर्मा-ए-चश्म-ए-दिल-ओ-जाँ कीजिए पर्दा-दार-ए-हुस्न-ए-यकता चश्म-ए-हैराँ कीजिए मुश्किलात-ए-राह को हिम्मत से आसाँ कीजिए तय फ़ना की मंज़िलें उफ़्तान-ओ-ख़ीज़ां कीजिए बे-हिजाबाना ख़ुद-आराई के सामाँ कीजिए मज़हर-ए-शान-ए-तजल्ली बज़्म-ए-इम्काँ कीजिए हैं मन-ओ-तू जलवा-हा-ए-हुस्न-ए-वहदत का हिजाब शम-ए-बज़्म-ए-ख़ुद-शनासी नूर-ए-इरफ़ाँ कीजिए जल्वा-हा-ए-तूर की तकरार या तज्दीद हो लन-तरानी से मसावी कुफ़्र-ओ-ईमाँ कीजिए शिर्क गर मंज़ूर है और है अनल-हक़ ना-क़ुबूल दार पर मंसूर को खिचवाइए हाँ कीजिए ख़ुद-नुमाई नाज़ है अंदाज़ ख़ुद-आराइयाँ जलवा-ए-जाँ से मुनव्वर क़ल्ब-ए-इंसाँ कीजिए कैफ़-ए-मस्ती में कि इर्फान-ए-जुनूँ में अल-ग़रज़ वा हर इक बंद-ए-नक़ाब-ए-रू-ए-जानाँ कीजिए कर दिया रहमत ने नूरानी मिरा ज़ुल्मत-कदा नोश-ए-जाँ जाम-ए-सफ़ा से आब-ए-हैवाँ कीजिए रहरवान-ए-जादा-ए-इशक़-ओ-फ़ना मंसूर हैं आरज़ू-हा-ए-दो-आलम उन पे क़ुर्बां कीजिए हम हैं हिन्दी और हमारा मुल्क है हिन्दोस्ताँ हिन्द में पैदा तसव्वुफ़ के ज़बाँ-दाँ कीजिए मस्तियाँ 'साहिर' की हैं जाम-ए-मय-ए-तौहीद से हो सके तो ऐसे काफ़िर को मुसलमाँ कीजिए