पास आ कर चला गया कोई हँसते हँसते रुला गया कोई दिल की दुनिया में आ गया कोई दर्द बन कर समा गया कोई यूँ बहार आई और चली भी गई जैसे आ कर चला गया कोई दर्द-ए-उल्फ़त से आश्ना कर के मुझ से आँखें चुरा गया कोई फिर नज़र में बहार रक़्साँ है फिर तसव्वुर पे छा गया कोई हाए रे मेरी नीम-बेदारी आते आते चला गया कोई राज़-ए-उल्फ़त न छुप सका 'नय्यर' आँखों आँखों में पा गया कोई