पास होने का इशारा मिल गया अब तो जीने का सहारा मिल गया ढल गया सूरज तो कुछ ऐसा लगा सुब्ह-ए-नौ का इक नज़ारा मिल गया तुम मिले तो मिल गई है ज़िंदगी मरते मरते भी सहारा मिल गया ना-उमीदी को मिली उम्मीद इक इक सहारा जब तुम्हारा मिल गया डूबने वाली थी कश्ती जान की अब तो साहिल का किनारा मिल गया ये ज़मीन-ओ-आसमाँ क्या हैं 'सबा' जब जहान-ए-इश्क़ सारा मिल गया