पास होते हुए जुदा क्यूँ है इस क़दर हम से वो ख़फ़ा क्यूँ है तौबा कर ली जब उस ने पीने से जानिब-ए-मय-कदा गया क्यूँ है निकहत-ए-गुल चमन में है मौजूद जाने आवारा फिर सबा क्यूँ है मुझ पे जौर-ओ-सितम ही अच्छे थे मेहरबाँ अब वो बेवफ़ा क्यूँ है हैं सभी पर तुम्हारे मेहर-ओ-करम मुझ पे लेकिन सितम रवा क्यूँ है ज़ुल्फ़ बिखरी है शाम से पहले ये अदा क्या है ये अदा क्यूँ है तालिब-ए-दीद कब से है 'ग़ाज़ी' वो हिजाबात में छुपा क्यूँ है