पड़ी जब किसी की निगाह-ए-मोहब्बत मिली अहल-ए-उल्फ़त को राह-ए-मोहब्बत सितम है क़यामत है आह-ए-मोहब्बत मिरी सम्त होगी निगाह-ए-मोहब्बत हज़ारों हसीं जम्अ आ कर हुए हैं ये महशर है या जल्वा-गाह-ए-मोहब्बत वो अहल-ए-तमन्ना को पहचान लेंगे कि छुपती नहीं है निगाह-ए-मोहब्बत 'वफ़ा' इस से वाक़िफ़ नहीं वो सितमगर ग़ज़ब ढाएगी मेरी आह-ए-मोहब्बत