पड़ी जो शो'ला-ए-रुख़ पर नज़र में आग लगी मिसाल-ए-तूर जला दिल जिगर में आग लगी ज़वाल अहल-ए-हुनर को हुनर के साथ हुआ सुख़न पे ओस पड़ी और हुनर में आग लगी हुआ इताब से सुर्ख़ उस निगार का चेहरा ग़ज़ब हुआ कि दिल-ए-फ़ित्ना-गर में आग लगी बड़े-बड़ों को हवा-ओ-हवस ने ख़्वार किया हुए निफ़ाक़ से बर्बाद घर में आग लगी जिगर को सोज़-ए-निहाँ ने जला दिया 'रौशन' हुई जो अश्क-फ़िशाँ चश्म-ए-तर में आग लगी