पहले तो ज़रा सा हट के देखा उस शोख़ से फिर लिपट के देखा इतनी भी बुरी न थी जो मैं ने दुनिया को ज़रा सा हट के देखा देखा उसे उस का हो के और फिर क्या फ़र्क़ पड़ेगा कट के देखा हम जम्अ हुए ही जा रहे थे आराम मिला जो घट के देखा बस एक ही ख़्वाब था कि जिस को ता-उम्र उलट-पलट के देखा वो और क़रीब आ गया था जब मैं ने ज़रा सिमट के देखा फिर दिल ने मिरे ग़म और ख़ुशी को रस्सी की तरह से बट के देखा कल डूब रहा था 'फ़रहत-एहसास' हम ने भी तमाशा डट के देखा