पहले तो मजबूरी पैदा होती है फिर रिश्तों में दूरी पैदा होती है ग़म से अक्सर दिल मुर्दा हो जाते हैं चेहरे पे बे-नूरी पैदा होती है वहशत से इंसाँ में शिद्दत बढ़ती है आहू में कस्तूरी पैदा होती है मेरी काविश उस को पूरा करती है वर्ना ग़ज़ल अधूरी पैदा होती है अक़्ल की हर दम सुनने से 'मेराज'-मियाँ जज़्बों में मा'ज़ूरी पैदा होती है