पहले तो शहर भर में अंधेरा किया गया फिर हम से रौशनी का तक़ाज़ा किया गया पहले तो साज़िशों से हमें दी गई शिकस्त फिर ख़ूब इस शिकस्त का चर्चा किया गया इक शख़्स के लिए मिरी बस्ती का रास्ता कच्चे मकाँ गिरा के कुशादा किया गया पहले तो मुझ को राह बताई गई ग़लत फिर मेरी गुमरही का तमाशा किया गया दुनिया न थी जो प्यार के क़ाबिल तो किस लिए हम को असीर-ए-ख़्वाहिश-ए-दुनिया किया गया इस गुलशन-ए-हयात में रंग-ए-ख़िज़ाँ के साथ इक मौसम-ए-बहार भी पैदा किया गया आँखों को आँसुओं के जवाहर दिए गए दिल के सिपुर्द ग़म का ख़ज़ाना किया गया दुनिया हमारे क़त्ल को कहती है ख़ुद-कुशी मरने के बा'द भी हमें रुस्वा किया गया 'शाहिद' लिखा गया था हमारे ही ख़ून से तसनीफ़ जब वफ़ा का सहीफ़ा किया गया