पहले उस की नींद में जा कर देखूँगा फिर उस को इक ख़्वाब सुना कर देखूँगा गए दिनों से धूल उड़ा कर देखूँगा मैं पानी में आग लगा कर देखूँगा बिन मौसम की बारिश अच्छी लगती है इस बारिश में फूल उगा कर देखूँगा उस की आँखें ख़्वाब में देखी हैं मैं ने मैं अब इन में ख़्वाब सजा कर देखूँगा इश्क़ तुम्हारा साँप है मेरे सीने पर मैं उस साँप को दूध पिला कर देखूँगा