पहली किरन के वार से पहले की बात थी दुख सुब्ह-ए-ज़र-निगार से पहले की बात थी आँखें बची कहाँ हैं कि ये लोग देख पाएँ बीनाई इस ग़ुबार से पहले की बात थी हर सम्त मैं हूँ और मेरे होने की है ख़बर दुनिया विसाल-ए-यार से पहले की बात थी सुन लफ़्ज़-ए-इन्तिज़ार है असलन सदा-ए-कुन तन्हाई इंतिज़ार से पहले की बात थी हम ही थे अपना रोग भी अपना इलाज भी ये इश्क़ के ख़ुमार से पहले की बात थी दुनिया थी हम पे बोझ कि दुनिया पे बोझ हम ये बात दिल पे बार से पहले की बात थी कोहना उदासियों में खिले क़हक़हे थे हम ये दुख के रेगज़ार से पहले की बात थी