पहली निगाह में ही वो दिल में उतर गया फिर उस के बा'द दिल में जो कुछ था बिखर गया मा'लूम तो करो वो परी-ज़ाद कौन है आईना जिस को देख के इतना निखर गया वो शख़्स जिस पे मैं ने लुटा दी है ज़िंदगी मेहमान घड़ी भर का था जाने किधर गया फिर उस के बा'द क्या हुआ क्या क्या नहीं हुआ बस तुम किसी के हो गए और मैं बिखर गया ये भी न दस्तरस में था वो भी न था मिरा क़ाबू से दिल कभी तो कभी फिर जिगर गया ज़ालिम है ताज़ा-दम मैं पशेमान हूँ बहुत मेरे लहू के क़तरों से ज़ालिम निखर गया 'फ़ैसल' है ख़ौफ़ ख़ुद मुझे ऐसे पता चला देखा जो आईना तो मैं ख़ुद से ही डर गया