पहलू तलाश कर ग़म-ए-जानाँ नए नए देता है रोज़ दर्द के सामाँ नए नए ख़ुशियाँ नई नई सी हैं अरमाँ नए नए फिर ज़िंदगी को मिल गए उनवाँ नए नए शह दिल को मिल गई है फिर उन की निगाह से फिर शौक़ ढूँढता है दिल-ओ-जाँ नए नए फिर महव-ए-इंतिज़ार हैं ताज़ा क़यामतें फिर बस रहे हैं शहर-ए-निगाराँ नए नए फिर दर्द की फ़ज़ा में सफ़र है ख़याल का फिर वज्द में हैं दश्त-ओ-बयाबाँ नए नए फिर ओढ़ कर चली है हवस इश्क़ की रिदा फिर बढ़ गए फ़रेब के इम्काँ नए नए ऐ 'शान' इंक़िलाब-ए-ज़माना की हैं दलील ये उलझनें ये ख़्वाब-ए-परेशाँ नए नए