पैमाना-ए-हाल हो गए हम गर्दिश में मिसाल हो गए हम तकमील-ए-कमाल होते हुए तम्हीद-ए-ज़वाल हो गए हम हर शख़्स बना है नाज़-बरदार जब ख़ुद पे वबाल हो गए हम दरयूज़ा-गरों की अंजुमन में कश्कोल-ए-सवाल हो गए हम आईना-ए-कर्ब लफ़्ज़ ओ मअ'नी फ़रहंग-ए-मलाल हो गए हम इम्कान-ए-वजूद के सफ़र पर निकले तो मुहाल हो गए हम पहले तो रहे हक़ीक़त-अफ़रोज़ फिर ख़्वाब-ओ-ख़याल हो गए हम