पल भर की मुस्कान दे जोगी दुनिया फूल समान रे जोगी सुख तो है बस एक छलावा मस्त हो यूँ हलकान रे जोगी झूटी है कुल दुनिया लेकिन सच्चा है इंसान रे जोगी मन मंदिर जो रंग भरा था अब तो है सुनसान रे जोगी गुलशन गुलशन महक रहे हैं ज़ख़्म मिरे पहचान रे जोगी राज का पेट भरेंगे कैसे भूके हैं खलियान रे जोगी