पलट कर न देखेंगे तुम को दोबारा चलो अब ये वा'दा है तुम से हमारा मैं वो तो नहीं हूँ जो होता रहा हूँ मगर अब न होगा वो होना गवारा कहीं फ़ाएदा तो नज़र ही न आए जहाँ देखिए बस ख़सारा ख़सारा जो मिट्टी में मिलना है सब को यहीं की तो करते भी क्यों हो हमारा तुम्हारा हमें साफ़ लफ़्ज़ों में खुल कर बताओ समझते नहीं हम इशारा-विशारा ये क्या माजरा है मुसीबत है कैसी जहाँ जाएँ नज़रें वहीं वो नज़ारा बनाओ वो किरदार अपना कि दुनिया ये सोचे ज़मीं पर है कोई सितारा हमें अपने ऊपर भरोसा है पूरा रखो पास अपने तुम अपना सहारा कि मुश्किल में 'अफ़रंग' ये याद रखना यक़ीनन समुंदर का होगा किनारा