पर्दा-ए-हुस्न-ए-ज़ात में अंजुमन-ए-सिफ़ात में मेरे सिवा है और कौन सीना-ए-काएनात में फ़र्श की वुसअ'तें भी गुम अर्श की रिफ़अतें भी जज़्ब मेरे तख़य्युलात में मेरे तसव्वुरात में नग़्मा-ए-बे-सदा हूँ मैं नाज़-ए-गिरह-कुशा हूँ मैं शम्अ'-ए-रह-ए-हुदा हूँ मैं ज़ुल्मत-ए-शश-जिहात में मेरी ही फ़ितरत-ए-क़दीम सरहद-ए-ला-मकाँ से दूर मेरा ही नक़्श-ए-ना-तमाम क़ैद-ए-तअ'ईनात में मेरे वजूद-ए-ख़ास से सिलसिला-ए-फ़ना-बक़ा मुझ से ही रौनक़-ए-तमाम बज़्म-ए-तजल्लियात में मेरी ही फ़िक्र-ए-मख़्फ़ी-ओ-मश्क़-ए-नज़र के फ़ैज़ से जज़्ब-ओ-कशिश की क़ुव्वतें हस्ती-ए-बे-सबात में 'आरज़ू' अपने राज़ को समझा हूँ मैं बस इस क़दर मुझ में हिजाब-ए-ज़ात है मैं हूँ हिजाब-ए-ज़ात में