परेशानी है जी घबरा रहा है कोई धीमे सुरों में गा रहा है कहूँ क्या हाल-ए-नाकाम-ए-मोहब्बत तमन्नाओं से जी बहला रहा है कोई शब की ख़मोशी में है गिर्यां तसव्वुर में कोई समझा रहा है तसव्वुर की ये मक़्सद-आफ़रीनी मैं समझा कोई सच-मुच आ रहा है जो रस्ता ख़ुल्द में निकला है जा कर वो दोज़ख़ से निकल कर जा रहा है