परिंदा शाख़ पर मेरी गवाही दे रहा है गवाह-ए-मो'तबर मेरी गवाही दे रहा है मिरी सच्चाई जीतेगी सवाद-ए-कर्बला में मदीने का सफ़र मेरी गवाही दे रहा है बशारत की तरह फैला हुआ एहसास हूँ मैं सो हर अहल-ए-ख़बर मेरी गवाही दे रहा है सुख़न-आबाद में मेरी अज़ानें गूँजती हैं कोई इस्म-ए-हुनर मेरी गवाही दे रहा है यक़ीनन मैं अंधेरे के क़बीले से नहीं हूँ चराग़-ए-रहगुज़र मेरी गवाही दे रहा है परिंदे और हवा दोनों मुझे प्यारे बहुत हैं नगर का हर शजर मेरी गवाही दे रहा है ज़माने की अदालत में अकेला तो नहीं मैं मिरा पूरा नगर मेरी गवाही दे रहा है सदा मेरी ज़वाल-ए-शब का था एलान-नामा सो आग़ाज़-ए-सहर मेरी गवाही दे रहा है गवाही सादा जज़्बे सादा ख़्वाहिश की गवाही मिरा मिट्टी का घर मेरी गवाही दे रहा है वही तारीख़ को देगा नया अंदाज़ 'शौकत' सर-ए-नेज़ा जो सर मेरी गवाही दे रहा है