सफ़र में इक नया इम्कान ज़ाहिर हो रहा है नज़र में इक नया इम्कान ज़ाहिर हो रहा है हवा का रौशनी का ख़ुशबुओं का तितलियों का नगर में इक नया इम्कान ज़ाहिर हो रहा है परिंदे शाम से हम्द-ए-ख़ुदा गाने लगे हैं शजर में इक नया इम्कान ज़ाहिर हो रहा है कोई देखे ज़रा पेशानियाँ अहल-ए-हुनर की हुनर में इक नया इम्कान ज़ाहिर हो रहा है गुल-ए-उम्मीद की ख़ुशबू कहाँ से आई 'शौकत' सहर में इक नया इम्कान ज़ाहिर हो रहा है