पास अपने कोई चारा ही न था जो हमारा है हमारा ही न था दिल को ऐसी चाहतें मतलूब थीं जिन पे कोई हक़ हमारा ही न था हम से ये भी फ़ैसले सरज़द हुए जो गवारा था गवारा ही न था आँख में रखते भी क्या वो आसमाँ जिस में कोई चाँद-तारा ही न था इस लिए दुनिया से पीछे रह गए हम ने अपना दिल सँवारा ही न था हम तो सर के बल चले आते 'रफ़ी' आप ने हम को पुकारा ही न था