पशेमानियाँ ही पशेमानियाँ हैं किसी मेहरबाँ की मेहरबानियाँ हैं मैं हूँ और मेरी ये तन्हाइयाँ हैं भरी अंजुमन में ये वीरानियाँ हैं मुक़द्दर मिरा जैसे दुश्वारियाँ हों मिरे वास्ते कितनी आसानियाँ हैं मिरे हाल पर हँस रहा है ज़माना न जाने ये किस की मेहरबानियाँ हैं भुला कर तुझे ऐ दिल-ओ-जाँ के मालिक पशेमानियाँ ही पशेमानियाँ हैं कहाँ तेरा दर और कहाँ मेरे सज्दे ये कैसी मिरे साथ हैरानियाँ हैं शिकस्ता है दिल और ज़माने के ग़म हैं मेहरबानियाँ ही मेहरबानियाँ हैं मुसलसल परेशाँ मुझे देख कर ख़ुद परेशानियों को परेशानियाँ हैं दिल-ओ-जाँ तसद्दुक़ किए जा रहा हूँ यही मेरी दानिस्ता नादानियाँ हैं इसी दिल की ख़ातिर ज़माने में 'अशरफ़' जिधर देखिए फ़ित्ना-सामानियाँ हैं