पा-शिकस्तों को जब जब मिलेंगे आप सर-ए-राह-ए-तलब मिलेंगे आप उन से पूछा कि कब मिलेंगे आप बोले जब जाँ-ब-लब मिलेंगे आप दिल ये कह कर ख़बर को उस की चला मुझ को ज़िंदा न अब मिलेंगे आप अर्सा-ए-हश्र ईद-गाह हुआ सब से मिल लेंगे जब मिलेंगे आप वस्ल में भी जबीं पे होगी शिकन तोड़ने को ग़ज़ब मिलेंगे आप बे-ख़ुदों को तलाश से क्या काम हर जगह बे-तलब मिलेंगे आप छोड़ दी रुख़ पे ज़ुल्फ़ समझे हम छुप के एक आध शब मिलेंगे आप छेड़ मुतरिब तराना-ए-शब-ए-वस्ल साज़-ए-ऐश-ओ-तरब मिलेंगे आप यार जब मिल गया तो हम से 'जलाल' जो न मिलते थे सब मिलेंगे आप