पत्थर पानी हो जाते हैं लोग कहानी हो जाते हैं नए नए चेहरे वाले भी बात पुरानी हो जाते हैं इश्क़ की रुत में सारे भिकारी राजा-रानी हो जाते हैं शाम समय लौ के झोंके भी पवन सुहानी हो जाते हैं सुख का मौसम जब आता है जिस्म भी पानी हो जाते हैं सूखे पत्ते गई रुतों के नई निशानी हो जाते हैं हम तो उस की बातें सुन कर पानी पानी हो जाते हैं