पयामी कामयाब आए न आए ख़ुदा जाने जवाब आए न आए तिरे ग़मज़ों को अपने काम से काम किसी के दिल को ताब आए न आए उसे शरमाएँगे ज़िक्र-ए-अदू पर ये क़िस्मत है हिजाब आए न आए तुम आओ जब सवार-ए-तौसन-ए-नाज़ क़यामत हम-रिकाब आए न आए शुमार अपनी ख़ताओं का बता दूँ तुम्हें शायद हिसाब आए न आए नए ख़ंजर से मुझ को ज़ब्ह कीजे फिर ऐसी आब-ओ-ताब आए न आए शब-ए-वस्ल-ए-अदू तेरी बला से किसी मुज़्तर को ख़्वाब आए न आए पियूँगा आज साक़ी सेर हो कर मयस्सर फिर शराब आए न आए ये जा कर पूछ आ तू उन से दरबाँ कि वो ख़ाना-ख़राब आए न आए न देखो 'दाग़' का दीवान देखो समझ में ये किताब आए न आए