पेड़ गिरता है तो जो उस पे गुज़र होती है एक साए के सिवा किस को ख़बर होती है हुस्न होता है किसी शय का कोई अपना ही और फिर देखने वाले की नज़र होती है हम नहीं तीरगी से खौफ़ज़दा होने के जानते हैं कि हर इक शब की सहर होती है आप ने इस के फ़साने ही सुने होते हैं और अचानक ये बला आप के सर होती है मेरे अशआ'र उस आवाज़ की हैं गूँज फ़क़त वो इक आवाज़ जो दिल टूटने पर होती है