फिर मिरा दुनिया में जी लगने लगे काश वो मुझ को बुरी लगने लगे हो अगरचे 'आम सा जुमला कोई वो कहे तो शा'इरी लगने लगे वक़्त रहते तर्क कर देना उसे जो मोहब्बत आख़िरी लगने लगे चार-सू बस दुश्मनों की भीड़ हो एक सूरत आप की लगने लगे मुद्दतों से साथ चलता हो कोई फिर अचानक अजनबी लगने लगे अपने जैसा हो न कोई मुंतज़िर जो भी शय देखूँ घड़ी लगने लगे