फूल जूड़े में जब सजाना है पहले तुम ने मुझे बताना है मेरे अज्दाद ने भी माना है इश्क़ धंदा बहुत पुराना है दर्स माँ बाप ने दिया है मुझे गिरते हर शख़्स को उठाना है मिल के दुश्मन से साज़िशें कर लो मैं ने आख़िर को जीत जाना है रुख़ हवाओं की सम्त करते हुए इक दिया मैं ने फिर जलाना है शोर होता है यूँ पस-ए-दीवार पस-ए-दीवार इक ज़माना है फूल बिखरे पड़े हैं रस्ते में आज शायद किसी ने आना है क्या बिगाड़ेंगे ग़म भला उस का जिस की क़िस्मत में मुस्कुराना है लाख दुनिया लगाए ताज़ीरें अम्न का गीत मैं ने गाना है काम से फ़ुर्सतें नहीं 'आबिद' अभी बच्चों को भी पढ़ाना है