प्यार का पौदा इक लगाया है और मोहब्बत का दिन मनाया है दिल में सब के उतर चुका है वो गीत जो तुम ने कल सुनाया है मुझ पे इल्ज़ाम आ गया कैसे दिल किसी और ने चुराया है कैसे दुश्मन मुझे हराएँगे सर पे माँ की दुआ का साया है आज फिर तीरगी के साए थे इक दिया आज फिर जलाया है हार कर भी ख़ुशी हुई 'आबिद' अपने बेटे ने ही हराया है