फूलों को बरसाओ तुम भी By Ghazal << ज़रूरत थी कि जो मैदाँ में... कैसे जानेगा वो मेरे घर का... >> फूलों को बरसाओ तुम भी तारे-वारे लाओ तुम भी चलते चलते फ़िल्मों जैसे मुझ में आ टकराओ तुम भी मैं भी नींदें लम्बी लूँगी गर ख़्वाबों में आओ तुम भी मुझ को खोना कैसा होगा थोड़ा तो घबराओ तुम भी कब से इक-तरफ़ा रक्खा है अब मेरे कहलाओ तुम भी Share on: