फूँक डाला कुश्ता-ए-ग़म कर दिया ज़िंदगी ने नाक में दम कर दिया अब ज़ियादा सोचना बे-कार है अब ज़ियादा सोचना कम कर दिया आप ने मेरा पियाला तोड़ कर हम-कनार-ए-साग़र-ए-जम कर दिया तुम शहंशाह-ए-दो-आलम हो गए हम को रुस्वा-ए-दो-आलम कर दिया झूट बिल्कुल झूट है 'सरशार' ने झूट के आगे भी सर ख़म कर दिया