पी कर शराब शैख़ ने भौंचाल कर दिया हज़रत का मुग़्बचों ने जो फिर हाल कर दिया सब्र-ओ-क़रार जाह-ओ-हशम दीन-ओ-जान-ओ-दिल यकसर ख़िराम-ए-नाज़ ने पामाल कर दिया ज़ुल्म-ओ-सितम हुआ जवाँ-मर्दी तो न हुई पल में सिपहर-ए-पीर ने जो ज़ाल कर दिया मिट्टी निगल गई नौजवानों की हस्तियाँ गर्दूं ने नौनिहाल को पामाल कर दिया रोटी उचक ली मैं ने ब-उन्वान-ए-मुफ़्लिसी ग़ुर्बत ने मेरी मुझ को बद-आमाल कर दिया नुक्ता-सरा थे क्या हुआ 'हावी' मियाँ तुम्हें शेर-ओ-सुख़न को वक़्फ़-ए-ख़त-ओ-ख़ाल कर दिया