पिया का इशक है मिरा यार-ए-जानी बिन उस नेह कूँ जीव कर मैं न जानी मोहब्बत है मुंज जीव चमन का सो मेरा पिरित फूल रंग रंग के उस की निशानी हुए आशिक़ाँ रूप लैला न मजनूँ वले हुई हमारे वक़त ऊ कहानी इशक पंथ में जिन न बेताब होवे उसे आशिक़ाँ कीं नहीं ओ सियानी मोहब्बत की सुल्तानी है सब जगत में कि उस सम नहीं कोई ज्ञानी-ओ-दानी समज से न हर कोई माने पिरित के नहीं फ़हम हर कस कूँ मैं ऐ पचानी नबी सदक़े 'क़ुतबा' कूँ बिन साईं मुख बिन नहीं देस्ता होर मुख यूँ नूरानी