पिया के नयन में बहुत छंद है ओ वू ज़ुल्फ़ में जीव का आनंद है सजन यूँ मिठाई सूँ बोले बचन कि उस ख़ुश बचन में लज़त क़ंद है मोहन के ओ दो गाल तश्बीह में सुरज एक दूजा सो जूँ चंद है नवल मुख सुहे हुस्न का फूलबन नयन मृग होर ज़ुल्फ़ उस फ़ंद है ऊ किसवत थे जीव बास महके सदा तू ऊ बास नारियाँ का दिल-बंद है पिया कूँ बुला लियाए हूँ अप मंदिर दुतन मन में उस थे हमन दंद है नबी सदक़े 'क़ुतबा' कूँ अप सेज ल्याइ तो चाैंधर खुश्याँ होर आनंद है