पिया तुज इश्क़ कूँ देती हूँ सुद-बुद हौर जियो दिल में हुनूज़ यक होक नईं मिलता किसे बोलूँ तू मुश्किल में ख़ुशी के अँझवाँ सेती भराई समदाराँ सा तो कि शह के वस्ल की दौलत गिर दुरगंज हासिल में भँवर काला किया है भेस तेरे मुख कमल के तईं वले इस भँवरे थे तेरे पीरत में हुईं कामिल में अज़ल थे साईं का दिल होर मेरा दिल के हैं एक बिछड़ कर क्यूँ रहूँ ऐसे जीवन प्यारे थे यक तिल में नबी सदक़े रयन सारी दो तन जूँ शम्अ जलती थी जो तारे के नमन रही थी 'क़ुतुब' शह चाँद सूँ मिल में