प्रेम पुजारी दिल को मेरे तोहफ़ा ये अनमोल दिया उस ने चाहत के प्याले में विश नफ़रत का घोल दिया कैसी क़स्में कैसे वा'दे और कैसा पैमान-ए-वफ़ा प्यार को मेरे दौलत की मीज़ान पे उस ने तौल दिया कब तक तन्हा तन्हा जीते कब तक दिल को समझाते जिस्म से अपने बाँधा था जो साँस का बंधन खोल दिया इस से अच्छा था बिक जाते हम भी सस्ती क़ीमत में हम ने अपना फ़न दुनिया को बे-भाव बे-मोल दिया आहें आँसू यास कसक बे-ताबी-ए-दिल और महरूमी मेरे दिलबर ने मुझ को ये मेरे दिल का मोल दिया गलियों गलियों शहरों शहरों किस ने आग लगाई है बुग़्ज़-ओ-नफ़रत का दुनिया को किस ने ये माहौल दिया दिल में इक हलचल सी बपा है नस नस में हैजान 'सलीम' जाने किस ने कान में आ के ख़ुशियों का रस घोल दिया