पूछ लो तुम चाहे जिस से ये मेरा किरदार है सब से झुक के मिलता हूँ और सादगी से प्यार है कल तलक तो आप मालिक थे दुकान-ए-‘इश्क़ के अब सुना है आप का नफ़रत का कारोबार है बिल-यक़ीनी है मुक़द्दर का धनी मेरा रक़ीब फूल है पहलू में उस के मेरे पा में ख़ार है एक दिन आएगा तू मेरी 'अयादत के लिए बस इसी उम्मीद में ज़िंदा तिरा बीमार है ज़िंदगी को ज़िंदगी से छीन कर ज़िंदा न रख ज़िंदगी को देने वाले ज़िंदगी दुश्वार है