पूछते हो इश्क़ क्या है इक ज़रूरी हादिसा है है दुआ बस लब पे सब के और दिल में बद-दुआ' है बिन तुम्हारे मेरा जीवन एक अधूरा वाक़िआ' है ये मिली तो जश्न कैसा ज़िंदगी तो इक सज़ा है कुछ नहीं बदला है इस में साल ये भी ग़म-ज़दा है आठ सौ दिन बाद उस को इश्क़ धोका लग रहा है हँसने वाले रो रहे हैं जाने वाला जा चुका है हाथ में रक्खी है सिगरेट जलने को तो दिल जला है