पूछते फिरते हैं घर वाले ये घर किस का है कौनसी बस्ती है यारो ये नगर किस का है घर के आँगन में खिली धूप को भी छू न सकें काश समझाए कोई मुझ को ये डर किस का है कश्तियाँ डाल के तुम चाहे तसल्ली कर लो वर्ना ये बात मुसल्लम है भँवर किस का है मुंतज़िर जिस के हैं हर हाथ में तीखे पत्थर गर नहीं मेरा तो बतलाओ वो सर किस का है मरहला पहले तो इस वक़्त का हम तय कर लें बा'द में सोचेंगे आगे का सफ़र किस का है मुझ से क्या मेरा पता पूछ रहे हो यारो वो मकाँ जिस में है दीवार न दर किस का है आज के दौर में 'आबिद' के अलावा कोई वक़्त की राह में अड़ जाए जिगर किस का है