पूछते क्या हो तिरा ये हाल कैसा हो गया तुम न जानो तो ख़ुदा जाने मुझे क्या हो गया आशिक़ी में वहम बढ़ते बढ़ते सौदा हो गया क़तरा क़तरा जम्अ' होते होते दरिया हो गया वो सरापा नाज़ है मुझ से बुरा तो क्या करूँ चार ने अच्छा कहा जिस को वो अच्छा हो गया आशिक़ी में नाम अगर दरकार है बद-नाम हो देख सब कुछ हो गया जब क़ैस रुस्वा हो गया कुछ हो लेकिन अब मिरा दिल तुम से फिर सकता नहीं ये तो जिस का हो गया कम-बख़्त उस का हो गया अपने पहलू में बिठाया आप ने अग़्यार को देखिए बैठे बिठाए का ये झगड़ा हो गया ले लिया याद-ए-मिज़ा ने मुझ को सैल-ए-अश्क से डूबने वाले को तिनके का सहारा हो गया दाग़-हा-ए-हिज्र में भी दिल में हैं ख़ार-ए-शौक़ भी बाग़ का बाग़ और ये सहरा का सहरा हो गया ले के दिल इल्ज़ाम देते हो ग़नीमत है यही माल का मूल आ गया अदले का बदला हो गया दिल की घबराहट नसीम-ए-सुब्ह-दम से कम हुई वो न आए ग़ैब से सामान पैदा हो गया क्या यही है शर्म तेरे भोले-पन के मैं निसार मुँह पे दोनों हाथ रख लेने से पर्दा हो गया मेरी हर इक बात क़ानून-ए-मोहब्बत है मगर ऐ 'सफ़ी' मैं शाइ'री करने से झूटा हो गया