पुराना साथ छूटा जा रहा है By Ghazal << रूह में मस्ती भर देता है मिटा कर फिर बनाया जा रहा ... >> पुराना साथ छूटा जा रहा है मिरा दिल है कि टूटा जा रहा है सबब तो है नहीं कोई मगर वो मुसलसल मुझ से रूठा जा रहा है सुहाना ख़्वाब आँखों को दिखा कर सुकून-ए-क़ल्ब लूटा जा रहा है कहूँ तो किस तरह 'जाज़िब' कहूँ मैं वो देखो एक झूटा जा रहा है Share on: