रूह में मस्ती भर देता है इश्क़ क़लंदर कर देता है कोई मोहब्बत में दिल अपना कोई अपना सर देता है सब को मिट्टी करने वाला किसी किसी को पर देता है मैं ने देखा बिन माँगे वो सब की झोली भर देता है अब भी शाख़ पे आ कर कोई मुझ को मेरी ख़बर देता है दश्त दिया है जिस ने 'जाज़िब' देखें कब वो घर देता है