पुराने ठाँव से रहती है लिपटी By Ghazal << तन्हाई से जब उक्ता के बैठ... मग़रूरी में किस को किस का... >> पुराने ठाँव से रहती है लिपटी ग़रीबी गाँव से रहती है लिपटी हमारे खेत की मिट्टी है साहिब हमेशा पाँव से रहती है लिपटी उसे पानी से नफ़रत हो गई क्या ये मछली नाँव से रहती है लिपटी वो मेरी जान है 'राही' जो मेरे बदन की छाँव से रहती है लिपटी Share on: